भारत क्यों है इस देश का नाम?

महावीर सांगलीकर

भारत क्यों है इस देश का नाम?

यह देश प्राचीन काल से ‘भारत’ इस नाम से जाना जाता है. कुछ लोग इसे हिन्दुस्तान भी कहते हैं, और आंतराष्ट्रीय स्तर पर इसे इंडिया नाम से भी जाना जाता है.

भारत के संविधान के अनुसार इस देश का नाम ‘India that is Bharat’ है. लेकिन इण्डिया और हिंदुस्तान यह दोनों नाम प्राचीन नहीं है, और न ही यह दोनों नाम किसी भारतीय भाषा से आये हुये हैं. हिन्दुस्तान यह नाम अरब और पारसी भाषा से और इंडिया यह नाम अंग्रेजी भाषा से आया हुआ है.

लेकिन प्राचीन भारतीय साहित्य में और शिलालेखों में इस देश का उल्लेख भारत या भारतवर्ष इसी नाम से किया गया है. इस नाम का एक इतिहास है, जो ज्यादातर लोग नहीं जानते.

ऋषभ देव और भरत

अतिप्राचीन काल में इस देश में ऋषभ देव नाम के एक महान व्यक्ति थे. यह ऋषभ देव नाभिराय और मरुदेवी के पुत्र थे. ऋषभ देव ने लोगों को जीवनयापन के लिए कई व्यवसाय और कलाएं सिखायी. उनमें शस्त्र चलाना (रक्षा करना), लिखना, खेती करना, विद्या प्राप्त करना, वाणिज्य, विद्या और शिल्प यह छह व्यवसाय प्रमुख थे.

आगे चलकर ऋषभ देव ने संन्यास लिया और फिर तीर्थंकर बने. यह जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे, इसलिए इन्हे आदिनाथ भी कहा जाता है. जैन परंपरा के साथ साथ इन्हे हिन्दू परंपरा में भी बड़े आदर का स्थान है. इनका उल्लेख व वर्णन शैव और वैष्णव धर्म के कई प्राचीन ग्रंथों किया गया है.

भगवान ऋषभ देव जी के बारे में मैं विस्तार से अलग से लिखूंगा.

ऋषभ देव जी के सौ पुत्र थे. उनमें सबसे बड़ा पुत्र था भरत. इनके एक भाई का नाम बाहुबली था, जिन्होंने भरत को चुनौती दी थी और उनको हराया भी था. यह वही बाहुबली है जिनकी विशालकाय विश्व विख्यात प्रतिमा कर्नाटक के श्रवणबेळगोळ में इन्द्रगिरी हिल पर है.

आगे चलकर भरत प्रथम चक्रवर्ती सम्राट बन गये. आगे चक्रवर्ती भरत के नाम पर इस देश के लिए भारतवर्ष यह नाम प्रचलित हो गया. यह भारत वर्ष ही आगे चलकर भारत नाम से जाना जाने लगा.

भारत क्यों है इस देश का नाम? प्राचीन हिन्दू ग्रन्थ क्या कहते हैं?

हिंदु परंपरा के प्रमुख पुराण ग्रन्थ और प्राचीन जैन साहित्य में चक्रवर्ती भरत का विस्तार से वर्णन किया गया है, और यह भी कहा गया है कि इस देश का भारतवर्ष यह नाम इसी ऋषभ पुत्र भरत के नाम पर प्रचलित हुआ. ऐसे कुछ ग्रंथों के नाम इस प्रकार हैं:

शैव और वैष्णव ग्रंथ:

शिव पुराण, अग्नि पुराण, विष्णु पुराण, श्रीमद भागवत, मार्कण्डेय पुराण, ब्रम्हाण्ड पुराण, नारद पुराण, स्कंद पुराण, वायु पुराण, कूर्म पुराण, वराह पुराण, वायु पुराण

इन सभी पुराणों में कहा गया है कि ऋषभ पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत प्रचलित हुआ. भागवत पुराण में ऋषभ और भरत इन दोनों का विस्तार से वर्णन किया गया है.

उदहारण के लिए मैं कुछ श्लोक देना चाहूंगा.

शिवपुराण में लिखा है,

नाभे: पुत्रश्च वृषभो वृषभाद् भरतो भवत्तस्य नाम्ना त्विदं वर्ष भारत कीर्त्यते (शिवपुराण अध्याय ३७/५७). अर्थ: नाभिराय के पुत्र ऋषभ व ऋषभ के पुत्र भरत थे. उस भरत के नाम से ही यह देश भारतवर्ष नाम से प्रसिद्ध हुआ.

विष्णुपुराण मेँ लिखा है,
ऋषभो मरुदेव्याश्च ऋषभात भरतो भवेत्भरताद भारतं वर्षं, भरतात सुमतिस्त्वभूत् (विष्णुपुराण २/१/३२). अर्थ: ऋषभ मरुदेवी से जन्मे, और ऋषभ से जन्मे भरत, भरत के कारण भारतवर्ष हुआ और भरत से सुमति हुई.

उल्लेखनीय बात यह है कि चक्रवर्ती भरत से श्री राम के भाई भरत या दुष्यंत-शकुंतला के पुत्र भरत से संभ्रम न हो इसलिये सभी ग्रंथकारों ने केवल भरत के बजाय ऋषभ पुत्र भरत ऐसा ही उल्लेख किया है.

जैन ग्रंथ:

प्राचीन और मध्य काल के जैन साहित्य में कई ग्रंथों में ऋषभ और भरत का विस्तार से वर्णन किया गया है और कहा गया है कि ऋषभ पुत्र भारत के नाम पर इस देश का नाम भारत हुआ. ऐसे कुछ प्रमुख ग्रंथों के नाम हैं:

जम्बुदीवपण्णत्ति, तिलोयपण्णत्ति, वसुदेवहिंडी, पद्म पुराण, महा पुराण, आदि पुराण, हरिवंश पुराण

इस प्रकार कई हिंदू और जैन ग्रंथों के आधार पर यह सिद्ध होता है कि ऋषभ पुत्र भरत के कारण ही इस देश का नाम भारत प्रचलित हुआ. लेकिन इस तथ्य को अनदेखा कर इतिहास के स्कूली पुस्तकों में लिखा जाता है कि ऋग्वेदिक युग के भारत नाम के एक कबीले के कारण इस देशका नाम भारत प्रचलित हुआ. लेकिन यह सच साबित नहीं होता, क्यों कि यह कबीला इतना प्रभावशाली नहीं था की उसके नाम पर इस देश का नाम प्रचलित हो, और ना ही कोई प्राचीन भारतीय ग्रंथ इस बात की पुष्टि करता है.

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