Category: महावीर सांगलीकर

दिगंबर-श्वेतांबर विवाह: समय की पुकार
आधुनिक युग में सामजिक तौर पर दिगंबर और श्वेताम्बर समाज के बीच की खाई कम हो रही है. (भले ही कुछ कलहप्रिय और कट्टरतावादी लोग…

बिना साधुओं और बिना मंदिरों का जैन समाज
जैन समाज में बडी संख्या में ऐसे लोग हैं जो ना मंदिर जाते हैं और ना ही साधुओं के पास जाते हैं. फिर भी उनमें…

सम्प्रदायवाद ले डूबेगा जैन समाज को!
वास्तव में सम्प्रदायवाद कलहप्रियता का लक्षण है. कलहप्रियता एक मानसिक विकृति है. इसका सीधा मतलब यह है कि सम्प्रदायवादी लोग मनोरुग्ण हैं, इस बात को…

मातंग वंश और जैन धर्म
मातंग वंश का इतिहास गौरवशाली और प्राचीन है, लेकिन इसपर ज्यादा शोध कार्य नहीं हुआ है. जो कुछ शोधकार्य हो गया है है वह बौद्ध…

महाराष्ट्र का जैन कासार समाज
जैन कासार समाज महाराष्ट्र के जैन समाज का एक महत्व पूर्ण हिस्सा है. यह समाज पूरे महाराष्ट्र में दिखाई देता है, फिर भी दक्षिण महाराष्ट्र…

साध्वी सिद्धाली श्री: आध्यात्मिकता और सामाजिक सक्रियता का संगम
एक आध्यात्मिक नेता के रूप में, साध्वी सिद्धाली श्री का दुनिया भर में अपने अनुयायियों पर गहरा प्रभाव है. उनकी शिक्षाएं सांस्कृतिक और धार्मिक सीमाओं…
जैन मंदिरों का परिवर्तन क्यों हुआ?
ढेर सारे जैन मंदिरों का हिंदू मंदिरो में परिवर्तन हुआ इसके पीछे के असली कारण क्या है इसपर हम कब चर्चा करेंगे? देखा जाता है…
Jain Surname: जैन सरनेम की वास्तवता
सरनेम अपने पारिवारिक कुल की पहचान होती है और होनी चाहिए, न कि धर्म की पहचान. केवल जैन सरनेम लगाने से आप जैन नहीं बनते.…