वेगनिज़्म के नाम पर जैनों को निशाना बनाना बंद करो

डॉ. धिरज जैन, दुबई

वेगनिज़्म के नाम पर जैनों पर निशाना साधने वालों के लिए एक सख़्त संदेश.

कुछ अजीब सा ट्रेंड शुरू हो गया है—जो लोग खुद को जानवरों का रक्षक बताते हैं, वे अचानक पूरी ताक़त से छोटी-सी जैन समुदाय को वेगन बनाने में जुट गए हैं. जैसे दुनिया की कुल आबादी के 0.1% से भी कम जैन, और भारत की आबादी के 0.5% से भी कम लोग ही दुनिया की समस्त पशु पीड़ा के बड़े अपराधी हों. जैसे जिन जैनों ने अपनी पूरी सभ्यता अहिंसा पर बनाई है, उन्हें अब उन लोगों से करुणा सीखनी पड़ेगी, जिन्हें यह ज्ञान पिछले हफ्ते ही मिला है.

स्पष्ट शब्दों में कहें तो वेगन बनने के लिए जैनियों को टारगेट करने का यह जुनून ग़लत, सतही और आलस भरा है.

जैन समस्या नहीं हैं…वे सबसे कम हिंसा करने वाले लोग हैं

जैनों की खान–पान परंपरा दुनिया की सबसे सरल, अहिंसक और प्रकृति–सम्मानित संस्कृति में गिनी जाती है.

हां, कई जैन दूध और दुग्ध–उत्पाद लेते हैं, और हां, डेयरी में हिंसा है. यह कोई नहीं नकार रहा. लेकिन जैन समाज के बारे में इन चीजों को जानना चाहिए कि:

  • जैन न मांस खाते हैं, और न अंडे.
  • वे रोज़ाना सैकड़ों छोटे–छोटे तरीकों से जीव–हिंसा से बचते हैं.
  • वे प्राणियों कि हिंसा में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हैं
  • उनकी संस्कृति पहले से ही कम क्रूरता, कम अपव्यय और कम शोषण की ओर झुकी हुई है.

फिर भी, किसी तरह यह छोटा–सा समुदाय ऐसे पेश किया जा रहा है मानो डेयरी की सारी क्रूरता का केंद्र-बिंदु हो.

क्यों?

क्यों कि वे आसानी से उपलब्ध हैं? क्योंकि वे विनम्रता से सुन लेते हैं? क्योंकि वे विरोध में चिल्लाएंगे नहीं?

जाहिर है कि वेगनिस्म के प्रचारकों के लिए यह एक कंफर्ट-ज़ोन प्रीचिंग है.

अगर आपको सच में जानवरों की चिंता है, तो वहां जाएं जहां वास्तविक नुकसान हो रहा है

किसी व्यक्ति या संगठन में सच में पशु–अधिकार के लिए लड़ने का साहस है, अगर वे वास्तव में जानवरों के दुख को कम करना चाहते हैं, प्राणियों की हिंसा के विरोध में काम करना चाहते हैं, तो उन्हें सबसे पहले वहां जाना चाहिए जहां सबसे ज़्यादा और सबसे भयावह स्तर पर हिंसा होती है.

अगर पशु अधिकार की बात करने वालों में उतना साहस है जितना वे दिखाते हैं, तो वे जाएं उस विशाल बहुमत के पास जो भारी मात्रा में डेयरी का सेवन करता है, उन मांस–भक्षी समूहों के पास जिनके लिए करोड़ों जानवरों की हत्या होती रहती है, उन उद्योगों तक जो चमड़ा, रेशम, शहद, जिलेटिन और पशु-परिक्षित सौंदर्य प्रसाधनों पर चलते हैं. वास्तविक क्रूरता वहीं है.

इन सब जगहों पर जो वास्तविक क्रूरता होती है, वह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को हिला देने के लिए काफी है. पर दुख की बात यह है कि इन बड़े उद्योगों और विशाल उपभोक्ता समूहों से भिड़ने का साहस बहुत कम लोगों में होता है. क्योंकि वहां विरोध करने का मतलब है बड़ी कंपनियों से टकराना, असुविधाएं झेलना, और व्यापक बहुमत के खिलाफ आवाज उठाना.

और ठीक इसी डर की वजह से कुछ तथाकथित पशु–अधिकार कार्यकर्ता एक आसान निशाना चुन लेते हैं—जैन समुदाय.

एक ऐसे समुदाय में विगनिस्म का प्रचार करना एक दोगला पन है, जो समुदाय हिंसा करने से हमेशा बचता रहता है.

सच कहें तो जैनों को दोष देना वैसा ही है जैसे क्लाइमेट चेंज के लिए साइकिलों को दोषी ठहराना और एसयूवी को अनदेखा कर देना.

जैन पहले से ही आधे वेगन हैं, वह भी बिना किसी वर्कशॉप के!

जैनियों की इन विशेषताओं को हमेशा याद रखें:

  • वे मांसाहार नहीं करते
  • वे चमड़ा नहीं पहनते.
  • वे रेशम के कपडे नहीं पहनते.
  • वे शहद नहीं लेते.
  • वे छोटे से छोटे जीव को मारने से बचते हैं.
  • वे ऐसे व्यवसाय नहीं करते जिनमें जानवरों का उपयोग होता हो.

उनकी जीवन–शैली में एकमात्र गैर–वेगन चीज़ डेयरी प्रोडक्ट्स है—और उसका सेवन भी वैश्विक औसत से काफी कम है.

इसलिए किसी एक जैन को “कम क्रूर दूध” से “ज़ीरो क्रूरता वाले विकल्पों” तक लाने पर खुद को हीरो समझने से पहले, वेगन कार्यकर्ता उन लोगों तक जाएं जो एक साथ—मांस, मछली, अंडे, डेयरी, चमड़ा, रेशम, शहद, और पशु–युक्त दवाएं—सबकुछ इस्तेमाल करते हैं.

अगर वेगनिज़्म फैलाना है, तो पहले मार्केटिंग की बुनियादी रणनीति सीखो

मार्केटिंग दो तरह की होती है:

निच मार्केटिंग: जहां आप पहले से ही रुचि रखने वाले छोटे-से समूह को लक्ष्य बनाते हैं. जैसे जैनों को वेगन बनाने की कोशिश—सुरक्षित, आरामदेह, अनुमानित.

मास मार्केटिंग: जो वेगनिज़्म के प्रचार के लिए अति-जरुरी है.

अगर वेगनिज़्म का लक्ष्य दुनिया भर में पशु पीड़ा कम करना है, तो संदेश जनसामान्य तक जाना चाहिए, न कि उस माइक्रो मायनॉरिटी समुदाय तक जो पहले ही अधिकांश वेगनों से अधिक अनुशासित जीवन जी रहा है.

वेगनिज़्म कोई धार्मिक आंदोलन नहीं है. यह एक जन–आंदोलन है. तो जनता तक जाओ, जैनों के पास नहीं.

यदि आपका मिशन सच्चा है, तो सुरक्षित रास्ते छोड़ो

जैन कार्यक्रम में जाकर वेगनिज़्म का उपदेश देना कोई बड़ा साहस नहीं. आपको सम्मान से सुना भी जाएगा—क्योंकि जैन संवाद का मूल्य समझते हैं.

लेकिन इससे दुनिया नहीं बदलती. अगर कोई सच में क्रूरता कम करना चाहता है, तो उसे चाहिए कि वह कट्टर डेयरी उपभोक्ताओं से बात करे. उन लोगों से बात करे जो दिन में कई बार मांस खाते हैं. चमड़े के फॅशन पर निर्भर लोगों से बात करे. रेशम–प्रिय बाज़ारों से बात करे. मुर्गी और समुद्री भोजन पर आश्रित उपभोक्ताओं से बात करे. उन लोगों से बात करे जो जानवरों को सिर्फ वस्तु समझते हैं.

यही असली एक्टविज्म है—कठिन, चुनौतीपूर्ण और सार्थक.

कार्यकर्ताओं के लिए संदेश: साहस वहीं होता है जहां असली संघर्ष हो

अगर बदलाव लाना है, तो सबसे नरम लक्ष्य के आसपास चक्कर लगाना बंद करो. वहां जाओ जहां प्रतिरोध है. वहां जाओ जहां उपभोग सबसे अधिक है. वहां जाओ जहां आपका संदेश सैकड़ों–हज़ारों जानवरों को बचा सकता है.

जैनों को वेगनिज़्म सिखाना वैसा ही है जैसे मछलियों को तैरना सिखाना—व्यर्थ और आत्म–प्रशंसात्मक.

अगर आप वास्तव में जानवरों की परवाह करते हैं, तो यह बात अपनी लड़ाई चुनने के तरीक़े में दिखाओ.

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One thought on “वेगनिज़्म के नाम पर जैनों को निशाना बनाना बंद करो

  1. जैनियों को ये गलत फहमी है कि पूरा वीगन अभियान सिर्फ़ भारत में है और वो भी सिर्फ जैनियों को वीगन बनाने पर तुला है।
    जैन अहिंसा के प्रवर्तक या बोलचाल की भाषा में कहें तो कॉपीराइट होल्डर हैं
    वो वैगनिज्म के इतने करीब हैं कि कुछ जैन वीगन को लगता है वे आसानी से वीगन का समर्थन कर देंगे, हालांकि ऐसा नहीं है कई जैन उतने ही कठोर दिखते हैं जितने अन्यामति।
    वैसे जैनियों को इस बात की खुशी होना चाहिए कि दुनिया भर मांसाहारियों को वीगन बनने के लिए प्रेरित वीगन बना रहे हैं
    दुनिया भर में वीगन बनने वाले अधिकांश मांसाहारी ही हैं।
    शाकाहारियों (विशेषकर भारत के) ने तो पशु पदार्थों को ही शाकाहार बोल कर ख़ुद को बहुत अहिंसक मान लिया है।
    हालांकि जैन धर्म में शाकाहार मांसाहार नहीं पर भक्ष्य अभाक्ष्य होता है तो कई कंद मूल भी शाक होते हुए अभ्क्षय गिने जाते हैं। और किसी 5इन्द्रिय संज्ञी जीव को बांधना, उससे कुछ छीनना तो पाप ही तो भक्ष्य कैसे होता है पशु दूध और उससे बने पदार्थ❓
    अतः जैनियों को ये भ्रम छोड़ देना चाहिए कि वी गन उनके पीछे पड़े हैं।

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