जैन युवकों को सेनाओं में शामिल होना चाहिए….

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महावीर सांगलीकर

jainway@gmail.com


जैन समाज, जो अपनी शांति, अहिंसा और व्यावसायीक वसायिक दक्षता के लिए जाना जाता है, अब प्रशासनिक सेवाओं में भी में अपनी उपस्थिति दिखा रहा है. भारत के विभिन्न राज्यों में और केंद्रीय स्तर भी बड़ी संख्या में कई अधिकारी जैन समाज से हैं. जैन समाज के युवक-युवतियों को प्रशासनिक अधिकारी बनाने के लिए कई जैन संघटन और संस्थाएं काम कर रही हैं.

अब समय आ गया है की जैन समाज के युवक युवतियों को भारत की सेनाओं में भी बड़ी संख्या में शामिल होना चाहिए, कमांडिंग अफसरों के तौर पर.

सेनाओं में जैन समाज की भागीदारी का इतिहास

भारतीय सेनाओं में जैन समाज की भागीदारी कोई नयी बात नहीं है. हमारे इतिहास में कई उदाहरण हैं, जब जैन योद्धाओं, सेनापतियों और नायकों ने राष्ट्र की रक्षा और गौरव को बनाए रखा. हजारों वर्षों से जैन समाज ने भारत को महान योद्धा, प्रशासक और सैनिक प्रदान किए हैं.

सम्राट चन्द्रगुप्त, सम्राट सम्प्रति, सम्राट खारवेल, सम्राट कुमारपाल, वस्तुपाल-तेजपाल, वनराज चावडा, शिलाहार राजा भोज, सेनापति निम्बदेव भामा शाह, रानी अब्बक्का, रानी चेन्न भैरव देवी आदि कई जैन सेनानियों ने रणभूमि पर अपने पराक्रम का परिचय दिया है.

भारतीय सशस्त्र बलों (आर्मी, नेवी, और एयरफोर्स) में जैन अधिकारी उच्च पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं, और दे रहें हैं. यह परंपरा न केवल गर्व की बात है, बल्कि यह दिखाती है कि जैन समुदाय ने अहिंसा के मूल्यों को ध्यान में रखते हुए भी देश की रक्षा में योगदान दिया है. कुछ उल्लेखनीय नाम हैं लेफ्टनंट जनरल संदीप जैन, वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन, वाइस एडमिरल सुकुमाल जैन, एयर मार्शल सिंहकुट्टी वर्धमान, एयर मार्शल सतीश कुमार जैन, एयर मार्शल प्रद्युम्न कुमार जैन, विंग कमांडर अभिनन्दन वर्धमान, स्क्वॉड्रन लीडर मोहिंदर कुमार जैन, मेजर अमृता कोले, सेकण्ड लेफ्टनंट वर्डिया, कॅप्टन गौतम जैन आदि.

यह परंपरा जारी रहनी चाहिए और इसे आधुनिक समय में और तेज़ी से आगे बढ़ाने की जरूरत है.

जैन युवकों को सेना में शामिल होना चाहिए…

सेनाओं में करियर: रोमांच और जिम्मेदारी का संगम

सेना में शामिल होना न केवल देश के प्रति जिम्मेदारी निभाने का अवसर है, बल्कि यह एक रोमांचक करियर भी प्रदान करता है. सेना में एक व्यक्ति न केवल राष्ट्रीय रक्षा में योगदान देता है, बल्कि एक अनुशासित और साहसी जीवन जीता है.

यह पेशा युवा जैनों को परंपरागत व्यवसायों से अलग, एक नया अनुभव प्रदान कर सकता है. बहुत से युवा अब पारंपरिक व्यवसायों, जैसे कि व्यापार और सेवा, से अलग हटकर रोमांचक और चुनौतीपूर्ण करियर तलाश रहे हैं. सेना उनके लिए एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है.

अहिंसा और सेना के बीच संतुलन

कुछ लोग सेना में जैनों की भागीदारी का विरोध करते हैं, इसे अहिंसा के सिद्धांतों के खिलाफ मानते हैं. लेकिन यह विरोध अक्सर अहिंसा के सही अर्थ की गलतफहमी के कारण होता है.

अहिंसा का मतलब कर्तव्यों से बचना नहीं है. सेना का उद्देश्य केवल लड़ाई करना नहीं है; इसका मुख्य कार्य देश और नागरिकों की सुरक्षा करना है. यह सुरक्षा तब होती है जब हम अपनी सीमाओं की रक्षा करते हैं और राष्ट्रीय हितों को संरक्षित रखते हैं.

सेना में शामिल होना किसी अन्य देश पर हमला करने के लिए नहीं होता, बल्कि अपने देश की रक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए होता है. यह सेवा न केवल देश के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जैन समुदाय के योगदान को भी नया आयाम देती है.

सेना और समाज: सकारात्मक प्रभाव

सशस्त्र बलों में जैन युवाओं की भागीदारी न केवल उनके व्यक्तिगत विकास में सहायक होगी, बल्कि यह समाज के लिए भी प्रेरणादायक होगी. इससे जैन समुदाय की छवि और व्यापक हो सकेगी, और अन्य समुदायों के बीच हमारी पहचान और मजबूत होगी.

सेना का हिस्सा बनने से युवा एक अनुशासित, ईमानदार और जिम्मेदार नागरिक बनते हैं. वे न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का कारण बनते हैं.

JITO और JAINA की भूमिका

जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (JITO) और जैन असोसिएशन्स इन नॉर्थ अमेरिका (JAINA) जैसे संगठन जैन युवाओं को सेना में करियर बनाने के लिए प्रेरित करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

भारत में JITO को पहल करनी चाहिए

JITO ने पहले ही IAS और IPS जैसे क्षेत्रों में जैन युवाओं को करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है.
अब JITO को सेना के लिए भी ऐसा ही करना चाहिए.
JITO को नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA), इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA), और अन्य रक्षा सेवाओं में प्रवेश के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने चाहिए.
प्रमुख शहरों में जैन मिलिट्री स्कूल की स्थापना की जानी चाहिए, ताकि युवाओं को बचपन से ही सैन्य जीवन की तैयारी दी जा सके.

उत्तर अमेरिका में JAINA को पहल करनी चाहिए

JAINA को अमेरिकी और कनाडाई जैन युवाओं को स्थानीय सशस्त्र बलों, पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए.

इस पहल से न केवल जैन समुदाय का योगदान बढ़ेगा, बल्कि यह समुदाय को एक नई पहचान भी देगा.

जैन युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करना एक दूरदर्शी कदम है. यह कदम न केवल उनके करियर को एक नई दिशा देगा, बल्कि देश और समुदाय दोनों को मजबूत करेगा.

जैन समुदाय को अब परंपरागत सीमाओं से बाहर निकलकर, नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ने का समय आ गया है. सेना में जैनों की भागीदारी हमारे गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ाने का एक शानदार तरीका हो सकता है.

आइए, युवा जैनों को इस दिशा में प्रेरित करें और उन्हें अपने देश की सेवा के लिए तैयार करें.

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