णमोकार मंत्र
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आइरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्वसाहूणं
णमोकार मंत्र का हिंदी अर्थ
लोक में सब अरिहन्तों को नमस्कार हो
लोक में सब सिद्धों को नमस्कार हो
लोक में सब आचार्यों को नमस्कार हो
लोक में सब उपाध्यायों को नमस्कार हो
लोक में सब साधुओं को नमस्कार हो
णमोकार मंत्र की विशेषताएं
- णमोकार मंत्र प्राकृत भाषा का मंत्र है. प्राकृत में इसे णमोकार मंत्र कहते हैं. संस्कृत में इसे नमस्कार मंत्र कहते हैं. हिन्दी में इसी का नाम नवकार मंत्र है.
- इस मंत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी विशेष व्यक्ति या देवी-देवता को नमस्कार नहीं किया है. जिन्होंने तप-ध्यान करके अपनी आत्मा का कल्याण किया है और परमेष्ठी पद प्राप्त किया है अथवा इस हेतु प्रयासरत रहे हैं अथवा प्रयासरत हैं, ऐसे सभी महापुरुषों को नमस्कार किया गया है.
- यह मंत्र किसी धर्म, सम्प्रदाय अथवा जाति विशेष से सम्बन्ध नहीं रखता है. सभी प्राणी चाहे वे किसी भी जाति, संप्रदाय, धर्म, देश के हों अथवा गरीब हों, अमीर हों, इस मंत्र के द्वारा अपना कल्याण कर सकते हैं.
- इस मंत्र की एक विशेषता यह भी है कि इसमें किसी प्रकार की याचना नहीं की गई है. केवल निःस्वार्थ भाव से पंच परमेष्ठी के प्रति भक्तिभाव प्रकट किया गया है. अन्य मंत्रों में कोई न कोई चाहना प्राय: की जाती है. जैसे ‘‘सर्वशांतिं कुरु-कुरु स्वाहा’’. इसमें भी शांति की याचना की गई है. यद्यपि यह सार्वजनिक हित के लिये याचना है फिर भी याचना तो की ही गई है. मगर णमोकार मंत्र में किसी से भी किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष या परोक्ष याचना नहीं की गई है.
- णमोकार मंत्र को किसी भी स्थान व स्थिति आदि में जपा जा सकता है. चाहे वह स्थान पवित्र हो, अपवित्र हो, चाहे व्यक्ति गतिमान हो या स्थिर हो, खड़ा हो या बैठा हो, सभी स्थितियों में यह मंत्र जपा जा सकता है.
णमोकार मंत्र को पूर्ण श्रद्धा के साथ जपने से यह बहुत ही फलदायक है. अत: आवश्यकता इसी बात की है कि हमें इस मंत्र पर पूर्ण श्रद्धा रखनी चाहिए.
इस मंत्र का कभी अपमान नहीं करना चाहिए. इस मंत्र का अपमान दु:खदायी होता है.
Encyclopedia of Jainism से साभार
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