उवसग्गहरं स्तोत्र अर्थसहित (Jain Stotra)

जिन करुणाकर आचार्य भद्रबाहु के संघ द्वारा संघ के कल्याणकारक यह उवसग्गहरं स्तोत्र निर्मित किया गया हैं, वे गुरु भद्रबाहु सदा जयवन्त हों.

क्या जैन हिन्दू है? Jain & Hindu

भारत के किसी भी प्राचीन धार्मिक या अन्य साहित्य में हिंदू इस शब्द का प्रयोग धर्म के अर्थ में किया नहीं गया है. वास्तव में…

जैन समाज की घटती हुयी आबादी ….

महावीर सांगलीकर jainway@gmail.com जैन समाज की घटती हुयी आबादी जैन धर्म के अनुयायीयों की घटती हुयी आबादी एक चिंता का विषय है. 2011 की जनगणना…

णमोकार मंत्र की विशेषताएं

इस मंत्र की एक विशेषता यह भी है कि इसमें किसी प्रकार की याचना नहीं की गई है. केवल निःस्वार्थ भाव से पंच परमेष्ठी के…

मेरी भावना | Jain Prayer

मैत्री भाव जगत में मेरा सब जीवों से नित्य रहे दीन-दुखी जीवों पर मेरे उर से करुणा स्रोत बहे दुर्जन क्रूर - कुमार्गरतों पर, क्षोभ…

Conversion: जैन मंदिरों का परिवर्तन क्यों हुआ?

ढेर सारे जैन मंदिरों का हिंदू मंदिरो में परिवर्तन हुआ इसके पीछे के असली कारण क्या है इसपर हम कब चर्चा करेंगे? देखा जाता है…

Jain Surname: जैन सरनेम की वास्तवता

सरनेम अपने पारिवारिक कुल की पहचान होती है और होनी चाहिए, न कि धर्म की पहचान. केवल जैन सरनेम लगाने से आप जैन नहीं बनते.…

जैन हो फिर भी दुखी हो?

क्या तुम्हें सभी जैनियों से अपनापन है? उनसे दोस्ती है? उनसे पारिवारिक संबध हैं? क्या जरुरत पड़ने पर तुम उनकी मदद करते हो? चाहे वह…