
दर्शन पाठ (संस्कृत), हिंदी अनुवाद के साथ
दर्शनं देवदेवस्य, दर्शनं पापनाशनम्। दर्शनं स्वर्गसोपानं, दर्शनं मोक्षसाधनम्॥(1) दर्शनेन जिनेन्द्राणां, साधूनां वन्दनेन च। न चिरं तिष्ठते पापं, छिद्रहस्ते यथोदकम्॥(2)

दलित और आदिवासियों को जैन धर्म अपनाना चाहिए!
महावीर सांगलीकर jainway@gmail.com जैन धर्म: एक बेहतर विकल्प……. भारत में दलित और आदिवासी समाज एक महत्वपूर्ण सामाजिक समूह हैं, जिनका अस्तित्व सदियों से अनेक सामाजिक,…

सम्प्रदायवाद ले डूबेगा जैन समाज को!
वास्तव में सम्प्रदायवाद कलहप्रियता का लक्षण है. कलहप्रियता एक मानसिक विकृति है. इसका सीधा मतलब यह है कि सम्प्रदायवादी लोग मनोरुग्ण हैं, इस बात को…

धार्मिक कट्टरतावाद | हर धर्म खतरे में !
हर धर्म के कट्टरतावादी अनुयायी मानते हैं की उनका धर्म विज्ञान के अनुसार है. भले ही यह अनुयायी विज्ञान क्या है और उनका धर्म क्या…

जैन समाज क्या है? इसका सही स्वरुप जानिये!
जैन का मतलब होता है वह व्यक्ति, जो जैन धर्म का पालन करता है. जिस समाज में जैन धर्म का पालन करने वालों की संख्या…

भाग्यशाली तो वह है जो कर्म से जैन होते हैं…
मनुष्य जन्म नहीं बल्कि कर्म से महान बनता है. इसी प्रकार मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि आचरण से जैन बनता है. इसलिए जैन कुल में…

मातंग वंश और जैन धर्म
मातंग वंश का इतिहास गौरवशाली और प्राचीन है, लेकिन इसपर ज्यादा शोध कार्य नहीं हुआ है. जो कुछ शोधकार्य हो गया है है वह बौद्ध…

“जय जिनेन्द्र” की शुरुआत कब हुई?
634 ईस्वी के एक शिलालेख में "जय जिन" लिखा मिलता है, जो "जय जिनेन्द्र" जैसा ही है. यह शिलालेख कर्नाटक के मेगुति मंदिर की दीवार…
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